Tuesday, June 14, 2011

तो कुछ और बात होती...:)



मेरे तुम्हारे इश्क की इतनी ही है कहानी
गर मिल जो हम पाते तो कुछ और बात होती...
दिल तो हमारे एक सी बोली हैं बोलते
जबाँ भी बोल पाती तो कुछ और बात होती...
यूँ तो इश्क अपना दोनों को ही पता है
ज़माने को बता पाते तो कुछ और बात होती...
ख्वाबों में तो अक्सर ही होती हैं मुलाकाते
हकीकत में जो मिल पाते तो कुछ और बात होती...
अकेले भी कट जाते हैं जिंदगी के रास्ते
गर साथ तुम्हारा पाते तो कुछ और बात होती...
वैसे तो है इश्क का सफ़र बड़ा सुहाना
मंजिल भी जो मिल जाती तो कुछ और बात होती... :):)

4 comments:

  1. न कुछ था तो खुदा था ,न कुछ होता तो खुदा होता,डुबाया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता,
    तो सर कटा होता और जानू पर धरा होता,
    याद आता है ग़ालिब तेरा हर इक बात पे कहना की ये होता तो वो होता,वो होता तो क्या होता........
    W

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  2. कुछ और बात होती..............
    mai v aksar yahi soch k pachtata rahta hoo.....
    dhayanbaad , aapne iss pachtawe ko kabita ka roop de diya...

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  3. Jindagi ko mene yun siddat se dekha.
    Khayalon ko mene yun karib se dekha.
    Dekha hai aksar mene barisho ko,un barishon me bhi apno ko bhighte huye dekha.....

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